2 मार्च 2001 को मूर्तियों को धीरे नष्ट करना शुरू किया गया | पहले तो राकेट लांचर से इन मूर्तियों पर प्रहार किया गया लेकिन ये कोशिश नाकाम रही |इसके पश्चात मूर्तियों में जो सुराग थे उनमें बारूद भरा गया | ऐसा करने में ३ दिन लग गए | फिर मस्जिद में अल्लाह उ अकबर का नारा लगाया गया और विस्फोट को अंजाम दिया गया |इस विस्फोट से छोटी मूर्ति तो काफी हद तक नष्ट हो गयी लेकिन बड़ी का सिर्फ पैर ही नष्ट हुआ |ऐसे में रोज़ मूर्ति को बारूद से उड़ाया गया | पूरी तरह से दोनों मूर्तियों को नष्ट होने में २५ दिन लग गए | इसके बाद तालिबान ने इस बात का जश्न मनाया और ९ गायों की क़ुरबानी भी दी गयी |

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