रावण के गुणों का कहाँ तक बखान किया जाए | एक राजनीतिज्ञ होने के इलावा वह एक शूरवीर योद्धा एवं एक प्रांगण पंडित भी थे |वह ब्रह्म ज्ञानी और कई कलाओ का मालिक था |अपनी इस क़ाबलियत के लिए ही उसे राक्षसों का मुखिया नियुक्त किया गया था | उसने लंका में अपना डेरा बसाया और सब चीज़ों को व्यवस्थित कर राक्षसों की सेना को फिर मज़बूत किया |लेकिन रावण भी बहुत मायावी था | उसे  इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू आते थे | इनका वह इस्तेमाल वह समय आने अपर करता रहता था |

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