भीष्म जानते थे कि पुत्रमोह में धृतराष्ट्र पांडवों के साथ अन्याय कर रहे हैं लेकिन राजा और राज सिंहासन के प्रति निष्ठा के चलते भीष्म उनके साथ बने रहे। पांडवों के साथ हुए अति अन्याय के चलते ही महाभारत युद्ध हुआ। यदि भीष्म न्याय पालन करते तो यह युद्ध टाला जा सकता था।

धृतराष्ट्र ने अपने पुत्र-मोह में सारे वंश और देश का सर्वनाश करा दिया। भीष्म चाहते तो वे धृतराष्ट्र की अंधी पुत्र भक्ति पर थोड़ी लगाम लगा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और दुर्योधन को गलती पर गलती करने की अप्रत्यक्ष रूप से छूट दे दी। 

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