कल्लाजी की कीर्तिपताका: कहानी की यह कीर्तिपताका बड़े व्यापक रूप मे फैलती जा रही है। वलाट की गादी के अलावा मालिक का जब-जब जहां-जहा आदेश होता है वहां सरजुदासजी पहुंच जाते है और अपने उन भक्तों की सम्हाल करते है जो मृत्यु शैया पर पड़े हुए है। एक बार जो भी इनकी शरण में आ जाता है वह फिर इनका हो जाता है। आँखें दो, नाक दो, मुँह एक। मनुष्य के भी ऐसे ही सात फग हैं। दो कान और है जो कल्लाजी के, नाग के नहीं हैं। सुनने का काम नाग ऑखों से ही करता है।

इन सारे फणां का मूल एक है जो गला है। कल्लाजी कभी निद्रा नही ले है। शुक्रवार को पूरे ही दिन ये जरणी की सेवा में रहते हैं। कल्लाजी की यह धाम दिन दूनी रात चौगुनी बढती रहे और अधिकाधिक-सर्वाधिक लोगो को निरोगी, स्वस्थ, सुखी, आनन्दित, उल्लसित, हर्षित, प्रफुलित एव मस्त मगन करती रहे। कल्लाजी सबका कल्याण करें। जगदम्बा सबकी रक्षा करें।

Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel