मुमकिन[1] नहीं कि जज़्बा-ए-दिल[2] कारगर [3] न हो
ये और बात है तुम्हें अब तक ख़बर न हो

तौहीने-इश्क़ [4]देख न हो ऐ ‘ जिगर’ न हो
हो जाए दिल का ख़ून मगर आँख नम न हो

लाज़िम[5] ख़ुदी[6] का होश भी है बेख़ुदी[7] के साथ
किसकी उसे ख़बर जिसे अपनी ख़बर न हो

एहसाने-इश्क़ अस्ल में तौहीने-हुस्न[8] है
हाज़िर है दीनो-दिल
 [9] भी ज़रूरत अगर न हो

या तालिबे-दुआ[10] था मैं इक- एक से ‘जिगर’
या ख़ुद ये चाहता हूँ दुआ में असर न हो

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