अब तो यह भी नहीं रहा अहसास
दर्द होता है या नहीं होता

इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा[1]
आदमी काम का नहीं होता

हाय क्या हो गया तबीयत को
ग़म भी राहत-फ़ज़ा[2]नहीं होता

वो हमारे क़रीब होते हैं
जब हमारा पता नहीं होता

दिल को क्या-क्या सुकून होता है
जब कोई आसरा नहीं होता

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