किसी जमाने में एक राजा था। उसके दो रानियाँ थीं। बहुत दिनों बाद बड़ी रानी के एक लड़की पैदा हुई। लेकिन छोटी रानी के कोई सन्तान न हुई। जन बड़ी रानी की लड़की सयानी हुई तो उसकी सुन्दरता की चर्चा सुन कर दूर-दूर के राजकुमार उस से ब्याह करने के लिए आने लगे। लेकिन छोटी रानी कोई-न-कोई उपाय रच कर सब को निराश कर देती थी। राजा भी उसकी बात नहीं टालता था| इसलिए राजकुमारी का यह नहीं हो सका। अपनी सौतेली लड़की को और भी कष्ट देने के लिए छोटी रानी ने एक उपाय सोचा।

एक दिन उसने राजा से जा कर कहा, “देखिए, मेरे गैरे नत्यू खैरे सभी राजकुमारी से शादी करने चले आते हैं। यह ठीक नहीं। राजकुमारी के लिए योग्य वर की खोज करनी चाहिए। इस के लिए मुझे एक उपाय सूझ गया है। आप जमीन के अन्दर एक महल बनवाइए। उस महल से लेकर हमारे बाग तक एक सुरंग खुदवा दीजिए। हमारे बाग के कोने में एक तालाब है न...! उस तालाब में उस सुरंग का दरवाजा लगवाइए। तालाब में हमेशा पानी भरा रहेगा।” 

“इसलिए किसी को उस महल का पता नहीं चलेगा। राजकुमारी को उस मइल में रख दीजिए और डिंडौरा पिटवा दीजिए कि जो राजकुमारी का पता लगाएगा वही उस से ह कर सकेगा। जो इस काम में असफल रहेगा उसका सिर काट कर किले के कंगूरे पर लटका दिया जाएगा।”

राजा ने उसकी यह बात मान ली और उसी प्रकार सब इंतजाम कर दिया। जब वह गुप्त महल बन कर तैयार हो गया तो राजकुमारी उस में छिरा दी गई। फिर चारों ओर हिंदौरा पीट दिया गया कि, जो राजकुमारी का पता लगायेगा वही उससे कर सकेगा। यह खबर सुन कर दुनियाँ के सभी देशों से बहुत से राजकुमार उस से शादी करने आए। लेकिन कोई नहीं जान सका कि राजकुमारी कहाँ छिपी हुई है। उन बेचारों के सिर काट कर किले के कंगूरे पर लटका दिए गए।

यहीं पडोस के एक देश में एक राजा रहता था। उसके तीन लड़के थे। यह डिंडौरा सुन कर उनमें से बड़े लड़के ने एक दिन अपने पिता के पास जा कर कहा,

"पिताजी..! हमारे पड़ोसी राजा की लड़की किसी गुप्त स्थान में छिपा दी गई है और डिंडौरा पीट दिया गया है...! कि जो उसका पता लगाएगा उसी के साथ उसका ब्याह होगा। मैं जा कर उस राजकुमारी का पता लगाना चाहता हूँ। उस राजकुमारी से व्याह करने से मेरा नाम सारे संसार में फैल जायगा। इसलिए में आप की इजाज़त चाहता हूँ।"

तब उसके पिता ने कहा –"बेटा ! क्यों नाहक अपनी जान गँवाना चाहते हो। किस हत्यारे ने तुझे यह बात सुझाई ! न जाने, कितने राजकुमार उस राजकुमारी का पता लगाने गए। उनमें से एक भी लौट कर नहीं आया तुम उस राजकुमारी का ख्याल अपने मन से निकाल दो। मैं तुम्हें उस से बढ़ी चढ़ी सैकडों राजकुमारियाँ ला दूँगा।"

लेकिन वह राजकुमार अपने पिता की बात क्यों सुनने लगा उसके सिर पर तो काल सवार था। यह हठ कर के राजकुमारी का पता लगाने चला। उसे इस काम के लिए तीन दिन की मोहलत दी गई। लेकिन जब तीन दिन बीत गए और राजकुमारी का पता नहीं लगा तो उसका सिर काट कर कीले के कंगूरे पर लटका दिया गया। जब यह खबर उसके मँझले भाई ने सुनी तो उसने भी राजकुमारी से शादी करने की, ठानी।

पिता के बहुत मना करने पर भी यह हठ करके रवाना हुआ। लेकिन वह भी राजकुमारी का पता न लगा सका और उसका भी वही हाल हुआ। सब से छोटे भाई ने यह खबर सुनी तो उसने भी राजकुमारी से विवाह करना चाहा। उसके दुखिया माँ-बाप ने उसे बहुत रोका।

लेकिन उसने एक न सुनी। यह भी राजकुमारी से शादी करने चल पड़ा। यह छोटा राजकुमार बड़ा बुद्धिमान और दूरदर्शी था। जाते समय यह एक शहर में पडाव डाल कर वहाँ के एक नामी सुनार के घर गया। उसने उसे बहुत सा सोना देकर एक बड़ा सुन्दर सोने का बडा भेड़ा बनवाया। जब भेड़ा बन कर तैयार हो गया तो राजकुमार ने उस सुनार को अच्छा इनाम तुम्हारी कारीगरी देखकर कहा,

“मुझे बड़ी खुशी हुई। अब तुम यह सोने का भेड़ा राजा के पास ले जाओ और कहो कि यह भेड़ा राजकुमारी के लिए एक राजकुमार ने भेंट में दिया है|”

सुनार ने उसकी बात मान ली। जब अंधेरा हो गया तो राजकुमार ने सब की आँख बचा कर उस भेड़े को खोला और उसमें घुस कर उसे पैक कर लिया। दूसरे दिन जब सुनार उस भेड़े को राजा के पास ले गया तो राजा उसे देख कर बहुत खुश हुआ। उसने सुनार को खूब इनाम दिया। उसने उस भेड़े को गुप्त महल में राजकुमारी के पास पहुँचा दिया। उस सुन्दर भेड़े को देख कर राजकुमारी फूली न समाई। उधर भेड़े में छिपा हुआ राजकुमार एक छोटे छेद से राजकुमारी की, सुन्दरता देख कर मन में अचरज कर रहा था। नौकर राजकुमारी के लिए रोज खाना ला कर एक चौकी पर रख जाता था। जब राजकुमार को भूख लगती तो यह उस भेडे में से निकल कर चुपके से राजकुमारी का खाना खा जाता और फिर अपनी जगह छिप रहता। जब दो तीन बार ऐसा हुआ तो राजकुमारी को बड़ा अचरज हुआ।

वह एक रात सोने का बहाना कर के जागती रही और इस तरह चोर को पकड़ लिया। उस राजकुमार का रूप देख कर राजकुमारी मोहित हो गई। उसने मन ही मन निश्चय किया कि उसको छोड़ यह और किसी से विवाह नहीं करेगी।

अब दोनों ने मिल कर एक उपाय रचा राजकुमारी ने उस भेड़े का एक कान तोड़ दिया और मरम्मत के लिए अपने पिता के पास भिजवा दिया। राजा ने भेड़े को सुनार के यहाँ भेज दिया। राजकुमार तो उस में छिपा ही था। सुनार के घर जाने के बाद वह निकल पड़ा और सीधे राजा के पास जाकर बोला,

“मैं आप की बेटी से ब्याह करने आया हूँ।"

यह सुन कर राजा ने उसे बहुत समझाया, “क्यों नाहक अपनी जान गँवाते हो! तुम्हारे दो भाई तो मारे गए। मेरी बात मानो और घर लौट जाओ। लेकिन राजकुमार ने उसकी एक न सुनी। तब लाचार होकर राजा ने कहा,

“अच्छा, तो जा ओ, पहले राजकुमारी का पता लगा लाओ।”

राजकुमार टहलते टहलते बाग की तरफ चला, जैसे वह कुछ जानता ही न हो। लेकिन छोटी रानी चुपके से उसका पीछा कर रही थी। तब राजकुमार ने तालाब के पास जाकर राजा को बुलवाया और कहा,

"पहले इस तालाब का पानी निकलवा दीजिए।"

राजा ने थोड़ा आगा पीछा किया। लेकिन आखिर लाचार होकर तालाब का पानी निकलवा दिया। अब तो सुरंग का दरवाजा साफ़ साफ़ दिखाई देने लगा। राजकुमार ने दरवाजा खुलवाया। सीढ़ियों से नीचे उतरने पर गुप्त महल दिखाई देने लगा। छोटी रानी ने देखा कि सारा भेद खुल गया तो उसने आगे आकर कहा,

“राजकुमार पाँच मिनिट के लिए तुम रुक जा ओ में जाकर राजकुमारी को तुम्हारे आने की खबर दे दूँ।”

महल के अंदर जाकर छोटी रानी ने और एक चाल चली। उसने राजकुमारी की सभी सखियों को उसकी सी पोशाक पहना दी जिससे राजकुमार राजकुमारी को पहचान न सके। फिर उसने राजकुमार को अंदर ले जाकर कहा,

“बेटा, जब तुम इनमें से अपनी राजकुमारी को पहचान लोगे तभी तुम्हारी शादी हो सकेगी। नहीं तो जो नतीजा होगा वह तुम को मालूम ही है।”

राजकुमार अपनी राजकुमारी को आसानी से पहचान सकता था। तो भी उसने अपनी चालाकी दिखाने के लिए एक उपाय किया। उसने अपनी जेब से मुठ्ठी भर अशर्फियों निकाल कर फर्श पर बिखेर दी। लडकीयाँ सब उन पर टूट पड़ीं। अकेली राजकुमारी चुपचाप खड़ी रह गई। बस, राजकुमार ने उसका हाथ पकड़ लिया। राजा को इस राजकुमार की होशियारी देख कर बड़ी खुशी हुई। कुछ ही दिनों बाद बड़ी धूम-धाम के साथ दोनों का ब्याह हो गया।

अब तक उस राजकुमारी से ब्याह करने की कोशिश में निन्यानवे राजकुमारों के सिर किले की दीवार पर लटक चुके थे। बगर छोटी रानी की चाल चलती तो बह इस राजकुमार का सिर भी उन में जोड़ देती और सौ की संख्या पूरी कर देती। लेकिन उसकी कोशिश बेकार गई। अब राजा का मन भी उस से फिर गया था। अगर राजकुमार न रोकता तो राजा उसे मरवा थी डालता। लेकिन राजकुमार तो उसकी तरह ईर्ष्यालु नहीं था न !

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