एक समय वनकुमारी नामक एक सुन्दरी बालिका थी। यह जैसी सुन्दरी थी, बुद्धि भी उसकी वैसी ही पैनी थी। वह हमेशा समुंदर के किनारे नाग कन्याओं के साथ खेलती रहती थी। उसकी माता का नाम था वनदेवी। धरती पर सब तरह के पेड़-पौधे, बेल-बूटे कौरह उपजाना उसी का काम था। उसी की आज्ञा से पेड़ों में फल लगते और पौधों में फूल। खेतों में धान उपजता और बाड़ियों में तरकारियाँ। उसी की कृपा से मैदानों में मुलायम हरी-हरी घास बिछ जाती। उसका नाम भी इसी से 'वनदेवी’ पड़ गया था। यह कथा उस वनदेवी के बेटी कि है.....!