मसाइब और थे पर दिल का जाना
अजब इक सानेहा सा हो गया है
सरहाने मीर के आहिस्ता बोलो
अभी टुक रोते-रोते सो गया है
अजब इक सानेहा सा हो गया है
सरहाने मीर के आहिस्ता बोलो
अभी टुक रोते-रोते सो गया है