दिल-ऐ-पुर खूँ की इक गुलाबी से
उम्र भर हम रहे शराबी से

दिल दहल जाए है सहर से आह
रात गुज़रेगी किस खराबी से

खिलना कम कम कली ने सीखा है
उस की आंखों की नीम-ख्वाबी से

काम थे इश्क में बहुत से 'मीर'
हम ही फ़ारिग हुए शिताबी से

Comments
हमारे टेलिग्राम ग्रुप से जुड़े। यहाँ आप अन्य रचनाकरों से मिल सकते है। telegram channel