ऑपरेशन थियेटर से बाहर निकलने पर डाक्टर श्वेता ने एक नजर बाहर खडे मीडिया के हजूम पर नजर डाली और फिर फुर्ती के साथ तेज कदम भरते हुए अपने कमरे की तरफ चल पडी। मीडिया का हजूम डाक्टर श्वेता के पीछे चल पडा। कई स्वर उसके कानों में गूंजने लगे। “डाक्टर सोहिनी के ऑपरेशन के बारे में बताईये। डाक्टर सोहिनी का ऑपरेशन सफल हुआ। कैसी हैं सोहिनी।” विभिन्न टीवी चैनल और समाचार पत्रो के पत्रकार यही प्रश्न बार बार पूछे जा रहे थे। जैसे जैसे मीडिया के प्रश्न बढते जा रहे थे। उसके भी कदम उन प्रश्नों से भी तेज होते हुए उसे मीडिया से पहले उसको कमरे में ले गए। कमरे में वह धम से कुर्सी में धस गई। उसकी सहायक डाक्टर कमला ने पहले एक गिलास पानी दिया। वह गट से पी गई। डाक्टर कमला ने फलाक्स से गर्म गर्म चाय चाइयाबोन के एक खूबसूरत मग में दी और उसके मन पसन्द जीरा नमकीन बिस्कुट प्लेट में दिए। एक हाथ में चाय का मग और दूसरे हाथ में बिस्कुट लिए धीमे धीमे चुस्कियां लेकर चाय पीने लगी। बाहर मीडिया के हजूम को उसकी सेकेट्ररी ने रोक रखा था। मीडिया के शोर को यह कह कर चुप कराया कि यह होस्पीटल है। शान्ति बनाए रखे। थोडी देर में डाक्टरों की पूरी टीम, जो सोहिनी के ऑपरेशन में शामिल थे, डाक्टर श्वेता के कमरे में मौजूद थे। थोडी सलाह विचार के बाद डाक्टर श्वेता की सहायक डाक्टर कमला कमरे से बाहर आई और मीडिया को थोडे से शब्दो से समबोधित किया। “सोहिनी का ऑपरेशन सफल रहा है। अभी रिकवरी रूम में है। होश आने के बाद उसे कल कमरे में शिफ्ट किया जाएगा। दो तीन दिन के बाद आपको सोहिनी से मिलने की अनुमति दी जाएगी।” मीडिया बहुत कुछ सोहिनी के बारे में पूछना चाहता था लेकिन डाक्टर कमला ने तीन दिनों तक टाल दिया कि आप सबको सोहिनी से तीन दिनों बाद मिलने दिया जाएगा।
मीडिया के जाने के बाद डाक्टर श्वेता घर गई। नौकरों ने उसका सूटकेस पहले से ही तैयार कर रखा था। बाहर टैक्सी भी आ गई थी। थोडी देर में वह फ्रेश हो कर टैक्सी में बैठ कर मसूरी की ओर रवाना हो गई। मसूरी के पास धनोलटी के एक रिजार्ट में उसने पहले से ही काटेज बुक करवा रखा था।
सोहिनी किसका डाक्टर श्वेता ने ऑपरेशन किया था एक मशहूर अभिनेत्री, हिन्दी फिल्म जगत में नम्बर एक अभिनेत्री। जैसा नाम, वैसा रूप। सुन्दरता की मूर्ती। गोरा चिट्टा रंग और उसके ऊपर शरीर का हर अंग कुदरत ने सांचे में बनाया था। पूरे भारत की हर लडकी की आदर्श अभिनेत्री सोहिनी। लडकी क्या, हर उम्र की महिला का भी आदर्श सोहिनी थी। काश मैं भी सोहिनी जैसी होती। यही ख्वाब हर लडकी और महिला का था। जब लडकियों अ©र महिलाऔं का यह हाल था तो लडके और पुरूषों की बात कोई भी आसानी से सोच सकता है। शरीर, फिगर, रंग, रूप, अदाए कोई भी कमी नही। तीन साल पहले बीस साल की उम्र में सौन्दर्य प्रतियोगिता जीत कर फिल्म में काम करने का अवसर मिला। पहली हिट फिल्म। उसके बाद मुड कर नही देखा। सिर्फ तीन सालों में तहलका मचा दिया और पूरे बौलीवुड की सम्राज्ञी बन गई। सफलता उसके कदम चूम रही रही थी। कहते हैं कि सफलता की दूसरी बहन ईर्षा होती है। फिल्म इंडस्ट्री में वो अभिनेत्रियां जो सोहिनी से पहले सफल थी, उसकी दुश्मन बन चुकी थी। उसको बदनाम करने में कभी भी नही चूकती थी। सोहिनी एक फिल्म की शूटिंग करते समय एक दुर्घटना का शिकार हो गई। फिल्म में आग का एक सीन था। आग के सीन की शूटिंग में सोहिनी आग में झुलझ गई। उसका खूबसूरत चेहरा, जो एक आदर्श था। झुलझ गया। कई अफवाहे फैली कि आग जानबूझ के ऐसी लगवाई कि सोहिनी उसका शिकार बने। मीडिया में कई नाम उछले। ईशारा कई अभिनेत्रियों की ओर था। लेकिन अफवाहों से कुछ नही मिलता। हादसा बन कर रह गया आग का सीन और बदरंग हो गई हर किसी की आदर्श। आज उसका पलास्टिक सर्जरी का ऑपरेशन सफल घोषित डाक्टरो ने किया।
डाक्टर श्वेता जिसने सोहिनी का सफल ऑॅपरेशन किया, वह कोई और नही, सोहिनी की बडी बहन है। जैसे सोहिनी छोटी सी उम्र में सफलता की चोटी पर पहुंची, वैसे ही श्वेता जो सोहिनी से सात साल बडी थी, एक सफल सर्जन है। सर्जरी में उसका कोई मुकाबला नही कर सकता था। उसका हाथ इतना अच्छा था, कि बिना किसी झिझक के सोहिनी ने श्वेता पर भरोसा जताया। उसको पूरा यकीन था कि श्वेता उसको पहले से भी अधिक सुन्दर बना देगी और उसका सांचे में पिरोया शरीर फिर से उस सांचे से भी अधिक अच्छा होगा। वह फिर से शीर्ष पर होगी। उसके प्रतिस्पर्धी विरोधी जो उससे जलते थे, ईर्षा करते थे जिन्होने उसको बदसूरत बनाने के लिए फिल्म के सेट पर आग लगवाई, फिर से धरातल पर होंगे। वह शीर्ष पर होगी। वह पैदाइश सुन्दर परियों जैसी थी। अपसरा, उर्वशी, मेनका होगी वह ऑपरेशन के बाद। ऑपरेशन के बाद कैसी दिखेगी सोहिनी, फिल्म जगत से जुडा हर व्यक्ति हाथ बांधे इंतजार कर रहा था। एक झलक देखने को उतावले थे। मीडिया चौबीस घंटे हर पल की खबर दर्शकों को पहुंचा रहा था।
श्वेता सोहिनी की बडी बहन जरूर है लेकिन वह सोहिनी की तरह सुन्दर नही है। जैसे सोहिनी अपने नाम के अनुरूप सुन्दर है। रूप की रानी है। अपसरा, उर्वशी, मेनका है, लेकिन श्वेता का नाम और रंग रूप एकदम विपरीत है। नाम श्वेता लेकिन रंग शयाह काला। सोहिनी अपसरा तो श्वेता भैंस। काली मोटी भैंस, तवे का उल्टा हिस्सा। यही शब्द सुन सुन कर बडी हुई श्वेता। पल पल तिरस्कार वाले शब्दों के बीच बचपन बीता। लोग क्या उसकी मां जिसने उसको जन्म दिया, कभी भी प्यार नही किया। पिता का बस सहारा था जिसने उसको पढने की लगन लगाई। मोटी काली भैंस शब्द के बीच उसकी प्रसन्नता का कोई ठिकाना नही होता था, जब वह क्लास में प्रथम आती। उसकी टीचर भरी कक्षा में सब बच्चों को श्वेता जैसी बनने की प्रेरणा देती। बच्चों की बोलती कक्षा में तो बंद हो जाती, लेकिन स्कूल से बाहर आते हंसी मजाक का दोर शुरू हो जाता। तौबा तौबा हमने नही बनना मोटी भैंस। टीचर खुद क्यों नही बन जाती श्वेता जैसी। पता नही भगवान ने इतना काला अ©र छोटी बहन को इतना गोरा क्यों बनाया है। इस प्रश्न का उतर तो कोई नही दे सका। सोहिनी, श्वेता की मां मोहिनी खूबसूरत थी। कॉलिज में हर लडका उसका दिवाना था। ख्वाहिश तो फिल्म हिरोइन बनने की थी। कॉलिज में नाटकों में भाग लेना शुरू किया। एक सहपाठी से प्रेम भी हो गया। मांबाप को मालूम हुआ तो कॉलिज छुडवा दिया और विवाह के बंधन में बांध दिया। तडपती रह गई सोहिनी की मां मोहिनी। सारे अरमान मिट्टी में मिल गए। आज से तीस बतीस साल पहले समाज में इतना खुलापन नही था। एक बैंक क्लर्क से विवाह बंधन में बंध कर मांबाप को कोसती रह गई। सरकारी बैंक की नौकरी देख मोहिनी के मांबाप ने उसका विवाह रामनाथ से कर दिया। मोहिनी हर किसी को मोहने में माहिर एक बैंक क्लर्क रामनाथ के पल्ले बंध गई। मांबाप को कोसती रही। कोई मेल नही था मोहिनी और रामनाथ में। काले रंग का स्वामी रामनाथ श्वेत रंग की स्वामिनी मोहिनी। मांबाप तो गंगा नहा गए, लेकिन मोहिनी ने मांबाप से नाता तोड दिया। साल बाद श्वेता ने जन्म लिया। श्वेता का रूप रंग देख कर मोहिनी ने मुंह फेर लिया। बाप पर गई है। इतना कह कर अपनी किस्मत को कोसती रही। क्या क्या सपने देखे थे। विवाह हुआ काले बैंक क्लर्क से। पक्की सरकारी नौकरी देख कर गोरी चिट्टी फिल्म अभिनेत्री जैसी बच्ची को काले बैल के पल्ले बांध दिया। कि पक्की नौकरी से मोहिनी का जन्म संवर गया। लेकिन मोहिनी यह नही स्वीकार करती थी। लडकी को जन्म दिया, वो भी काली। बाप काला बैल अ©र लडकी काली भैंस। मोहिनी इन्ही शब्दो का प्रयोग करके बाप बेटी का अपमान करती थी। पांच साल तक मोहिनी ने रामनाथ से बात नही की। रामनाथ ने जब तलाक की धमकी दी। मांबाप अ©र समाज के दबाव में रामनाथ को अपने पास आने दिया। कुदरत को देखिए। दूसरी अ©लाद सोहिनी। जन्म पर जब डाक्टर ने बताया। लडकी हुई है तो मोहिनी का कलेजा मुंह को आ गया।
“लडकी है तो क्या हुआ। साक्षात लक्षमी है। एक दम दूध मलाई। संभाल कर रखना इसको मुहल्ले के लडको से। आगे पीछे घूमेगें लाइन लगा कर।” डाक्टर के मुख से ये शब्द सुन कर मोहिनी ने एक नजर सोहिनी पर डाली तो छाती से चिपका लिया। सुन्दर लडकी को पाकर खुशी से झूम उठी। मैं तो कुछ नही कर सकी। मेरे सारे अरमान सोहिनी पूरे करेगी। जैसे जैसे सोहिनी बडी होती गई। उसकी सुन्दरता में चार चांद लगते गए। डाक्टर के शब्द मोहिनी के कानों में गूजते रहते। आगे पीछे लाइन लगा कर लडके घूमेंगें। वही हुआ। सुन्दरता में निखार होता गया। मिस कॉलिज चुनी गई। अखबारों में तस्वीरे और शोहरत। फिल्म में काम करने का ऑफर अ©र सफलता सोहिनी के कदम चूमने लगी। जो मोहिनी नही कर सकी, उसे वह चाहती थी सोहिनी पूरा करे। सोहिनी ने सारे अरमान पूरे किए। पूरा भारत उस पर फिदा था। उफ वह आग का हादसा और आसमान पर उडने वाली सोहिनी धम से जमीन पर गिरी। उसका काफी बदन झुलझ गया। कद्रदान गम में डूब गए। विरोधियों की मुस्कान बढ गई।
श्वेता का सिर्फ एक सहारा था। वह उसके पिता रामनाथ का। रामनाथ को मालूम था। रंग श्वेता के आडे आएगा। उसकी सूरत तो नही संवार सकता था। सीरत संवार दी। पढने की प्रेरणा दी। श्वेता डाक्टर बन गई। छोटी सी उम्र में एक सफल सर्जन।
मां ने सोहिनी को संवारा और पिता ने श्वेता को। आग के हादसे के एक साल बाद सोहिनी की पलास्टिक सर्जरी के लिए डाक्टरो ने श्वेता का नाम सुझाया। मोहिनी सोच नही सकती थी कि उसकी बडी बेटी छोटी बेटी को नया जीवन देगी। श्वेता ने कोई कसर नही छोडी। ऑपरेशन सफल हो गया। ऑपरेशन के बाद श्वेता मसूरी के पास धनोलटी में आराम कर रही थी और सारा भारत सोहिनी की एक झलक के लिए दीवाना था। कब डाक्टर सोहिनी को मीडिया के सामने लाएगें।
ऑपरेशन के बाद सोहिनी होश में आई। अस्पताल के कमरे में नर्स से कहा। “सिस्टर
श्वेता कहां है।”
“डाक्टर श्वेता तो तीन चार दिन की छुट्टियों पर है। अभी डाक्टर कमला आपको देखने
आएगी।” नर्स के इतना कहते ही डाक्टर कमला ने कमरे में प्रवेश किया।
“सोहिनी कैसा महसूस कर रही हो।” डाक्टर कमला ने सोहिनी का मुआइना करते हुए पूछा।
“सिर में चक्कर क्यों आ रहे हैं।”
“अनसेथिसिया का असर कल सुबह तक खत्म हो जाएगा। फिर सब ठीक हो जाएगा। देखना। पहले से
भी अधिक खूबसूरत लगोगी। इतना तो में पक्का कह सकती हूं।”
“आपके मुंह में घी शक्कर।”
मुसकुरा कर डाक्टर कमला चली गई।
अगली सुबह सोहिनी ने खुद को देखा। उसकी मुसकुराहट बढती गई। औह डाक्टर कमला सही कह
रही थी। यकीन नही हो रहा है अपने को देख कर। पहले से भी अधिक खूबसूरत बना दिया है।
श्वेता ने। उसके हाथ में जादू है। अपनी फिगर देख कर यकीन नही कर सकी। यह तो पहले से
भी अधिक अच्छी है। लगता है किसी सांचे में से मुझे निकाला है श्वेता ने। अब मैं
देखती हूं कि कौन मुझसे आगे जाता है। एैसी फिगर तो मेरी कभी नही थी। स्विंगसूट में
मेरी फिगर देख कर दुनिया दांतो तले अंगुली दबाएगी। सबकी छुट्टी कर दूंगी मैं। वाह
यह तो कमाल हो गया। एक साल मैं घुट घुट कर जीती रही कि क्या ऑपरेशन के बाद खूबसूरत
बन सकूंगी। अब मैं फिर से फिल्म जगत की नंबर एक अभिनेत्री कहलाऊंगी। इतराती हुई
देखा कमरे में आइना नही था। बाथरूम गई। चेहरे को बारीकी से देखा। कोई कमी नही लग
रही। लेकिन वह ठिठक गई। यह क्या। यह मेरा वहम है या हकीकत। यह कैसे हो सकता है। जब
पूरे शरीर को सांचे से निकाला गया हो तब यह मेरा वहम ही लगता है।
“क्या वहम लगता है।” मोहिनी ने कमरे में प्रवेश करते हुए पूछा।
सोहिनी को देख कर कहा। “किसी की नजर ना लग जाए।” नजर उतार कर सोहिनी से कहा। “अब तो
तू पहले से भी अधिक खूबसूरत हो गई है। सब की छुट्टी समझ। अच्छा यह बता, वहम कौन सा
है।”
“मां मुझे दाहिनी आंख छोटी लग रही है। ध्यान से देखो मां।”
ध्यान से देख कर मां ने शोर मचा कर पूरा अस्पताल सिर पर उठा लिया। “कहां है डाक्टर
श्वेता। उसकी आज खैर नही। सोहिनी तू ठीक कह रही है। एक आंख छोटी है। पूरा शरीर
सांचे में से निकाल कर आंख में नुक्स डाल दिया। पूरी जिन्दगी खराब कर दी। किसी को
मुंह दिखाने लायक नही रखा। नालायक ने।”
सोहिनी धम से बिस्तर पर लुढक गई। तकिए में सिर छुपा कर रोने लगी। मां मोहिनी के शोर
पर पूरा अस्पताल एकतित्र हो गया। मोहिनी को शान्त करने की हर कोशिश बेकार रही। शोर
सुन कर मीडिया एकतित्र हो गया। ब्रेकिंग न्यूज हर चैनल पर आने लगी। बडी बहन ने छोटी
बहन के साथ धोखा किया। पीठ में छुरी भोंकी है। पूरा शरीर सांचे में ढाल कर आंख छोटी
कर दी। काली भैंस अपसरा, उर्वशी, मेनका जैसी बहन से ईर्षा करती है। न्यूज चैनल
डाक्टर श्वेता की थूथू कर रहे थे। सोहिनी ने कैमरे के सामने आने से मना कर दिया। इस
पर अफवाहों का बाजार फिर से गर्म हो गया। पूरा राष्ट्र चकित रह गया कि ऐसी बारीक
चूक कैसे रह गई। सारा सरीर सांचे से निकाल कर आंख में नुक्स कर दिया।
श्वेता धनोलटी के रिजार्ट में टीवी चैनल देख कर सिर्फ इतना बोल सकी। मां बेटी
दोनो बेवकूफ हैं। जरा सी बात का बतंगड बना दिया। दो दिन इन्तजार नही कर सकी। कम से
कम मेरे से बात तो कर लेती। मेरा कुछ नही बिगाड सकती दोनो मां बेटी। सोहिनी का
कैरियर अब तो पूरा खराब कर दिया। डाक्टर कमला ने अनुरोध किया कि वह जल्दी वापिस आ
जाए। बात उनके हाथ से निकलती जा रही है। मां बेटी के साथ मीडिया को संभालना मुश्किल
ही नही नामुमकिन है।
श्वेता वापिस अस्पताल आ गई। मीडिया ने सवालों के घेरे में डाल दिया।
“आप सबके सवालों का सिर्फ यही जवाब है कि आपने सोहिनी को देखा था पहले भी, आग के
हादसे पर भी और अब देखिए। आज सोहिनी पहले से भी अधिक खूबसूरत और कमसिन फिगर के साथ
आपके सामने हैं। मैने पूरा न्याय किया है। कोशिश पूरी की थी कि आंख भी परफेक्ट हो
जाती लेकिन जैसा आप जानते है कि सोहिनी के शरीर का दाहिना हिस्सा आग से अधिक झुलझ
गया था जिस कारण यह कमी रह गई।”
मोहिनी और सोहिनी श्वेता की बातों से सन्तुष्ट नही हुए। दोनों ने कोर्ट में मुकदमा
कर दिया। तरह तरह के इलजाम लगाए गए। मेडिकल कॉऊसिल में डाक्टर श्वेता का प्रेक्टिस
लाईसेंस रद्द करने को कहा। चारो तरफ शवेता और सोहिनी के मुकदमे की चर्चा हो रही थी।
मीडिया नमक मिर्च लगा कर न्यूज दिखा रहे थे। मोहनी को श्वेता कभी भी पसंद नही थी।
उसने खुल्लम खुल्ला कहना शुरू कर दिया कि श्वेता ने जानबूझ कर सोहिनी की आंख में
नुक्स रखा ताकि सोहिनी कभी भी दुबारा शिखर पर न पहुंच सके। वह सोहिनी से ईर्षा करती
है। प्रतिशोध लिया है श्वेता ने। श्वेता चुपचाप सभी इलजामों को सुनती रही। कोर्ट
में मुकदमें में उसने कोई वकील नही रखा। मेडिकल कॉऊंसिल में भी उसने अपनी पैरवी खुद
की। वहीं सोहिनी और मोहिनी ने सबसे मशहूर वकीलों की फौज कोर्ट में खडी कर दी।
वकीलों की फौज को फैमिली की अंदर की खबर दे रही थी वकील माधुरी।
माधुरी सोहिनी से एक साल छोटी मोहिनी की तीसरी बेटी। श्वेता सफल डाक्टर, सोहिनी सफल
अभिनेत्री और माधुरी सफल वकील। श्वेता एक और उसके विरोध में मां और दो छोटी बहने।
उनके साथ मीडिया और वकीलों की फौज। श्वेता का संवारने और हिम्मत देने सिर्फ उसके
पिता रामनाथ, आज भी उसके साथ चुपचाप खडे उसका साथ दे रहे थे। माधुरी सोहिनी जैसी
सुन्दर तो नही थी, लेकिन मोटी भैंस भी नही थी। वह दोनो बहनों के बीच की थी। रंग
सांवला। तीखे नैन नक्श के होते हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती थी। श्वेता पूरी
पिता रामनाथ की कापी थी। सोहिनी मां मोहिनी की और माधुरी मांबाप का मिश्रित रूप।
तीखे नैन नक्श की स्वामिनी माधुरी मां मोहिनी के करीब और चहेती थी। घर में रामनाथ
मूक रहते अ©र श्वेता के मार्गदर्शक। मां मोहिनी सोहिनी और माधुरी की गाइड। छोटी
उम्र में तीनों बहने अपने कामों में अव्वल और नंबर एक थी।
एक तरफ कोर्ट मे मुकदमा, दूसरी तरफ मेडिकल कॉऊंसिल में उसके विरूध डाक्टरी का तमगा
छीनने के लिए केस। श्वेता ने कोई वकील नही किया। वह खुद अपनी पैरवी के लिए पेश हुई।
तरह तरह के इल्जाम दोनों जगह लगाए गए। रामनाथ ने काफी कोशिश की कि श्वेता कोई वकील
अपनी पैरवी के लिए कर ले। श्वेता अपने फैसले पर अडिग थी। पापा वे तीनों बेवकूफ है।
मेरा बाल भी बांका नही कर सकते। अपनी बदमानी और जगहंसाई जरूर करवा रही है। मां की
जिद ने सोहिनी का कैरियर तबाह कर दिया है। हंगामा करने से पहले मेरे से एक मिन्ट
मेरी बात सुन कर थोडा भी अमल करते तो फिर से सोहिनी शिखर पर होती। श्वेता मेडिकल
जगत में एक जानामाना नाम थी। उसकी काबीलियत पर कोई ऊंगली नही उठा सकता था। मेडिकल
कॉऊंसिल में उसके तथ्य को कोई झुठला नही सका। आग के हादसे के बाद के सोहिनी के केस
पर विश्व के विख्यात डाक्टरो ने खुद श्वेता का नाम सुझाया था। आज ऑपरेशन के बाद
सोहिनी पहले से भी अधिक सुन्दर है। आंख जो थोडी सी छोटी रह गई है, बहुत बारीकी से
देखने पर फर्क मालूम होता है, जिसे मेकअप से छुपाया जा सकता है। मेडिकल कॉऊंसिल ने
श्वेता का निर्दोष माना और शिकायत खारिज कर दी। कोर्ट ने भी वही निर्णय दिया। जज के
फैसला सुनाने के बाद श्वेता से सिर झुका कर दोनों हाथ जोड कर जज के निर्णय को
स्वीकार किया। मीडिया उसके पीछे उसकी प्रतिकिर्या के लिए लग गया।
हाथ जोड कर प्रणाम की मुद्रा में सिर्फ इतना कहा। “एक डाक्टर का फर्ज मैनें पूरा
किया है। तथ्य आपके सामने हैं। मेडिकल कॉऊंसिल अ©र कोर्ट का फैसला आपके सामने है।
मेरी मां ने मुझे अपनी बेटी कभी नहीं माना। इसीलिए मुकदमेबाजी हुई है। मैनें अपना
फर्ज पूरा करने में कोई कमी नही छोडी।” कह कर श्वेता कार में बैठ गई। घर पहुचने तक
वह और पिता रामनाथ चुपचाप रहे।
घर पहुंच कर रामनाथ ने पूछा। “बेटे एक बात पूछू, बुरा तो नही मानोंगी।”
“आप कैसी बात कर रहे हो पापा। एक आप ही तो हो, जिसका हमेशा सहारा रहा, नही तो मां
ने कभी मुझे जीने नही दिया था।”
“सोहिनी की आंख में कसर क्या जानबूझ कर छोडी थी। जब सब अच्छा हुआ था तो यह कमी मेरी
बेटी से रह जाए, मेरा मन नही मानता।”
“हां पापा मैंने जानबूझ कर कसर रखी है। यह तो मामूली सी बात है। कोई भी डाक्टर ठीक
कर सकता है। चुटकी बजाते कमी ठीक हो जाएगी। मां की जिद और मुझे न अपनाने की वजह से
कसर छोडी थी। अफसोस कि मां सोहिनी और माधुरी को अब भी अक्ल नही आई। मुझे हर तरफ से
बदनाम और गिराने की कोशिश की, लेकिन खुद तीनों भूल गई कि मैं आज भी आकाश में ऊंची
उडान पर हूं और तीनों धम से जमीन पर गिर कर औधे पडी है। आज इतनी सफल सर्जन बनने के
बाद भी मुझसे नफरत करती है। आज भी बेटी नही माना। हमेशा मोटी भैंस कह कर हंसी उडाई
है। पापा वे हमेशा भूल जाते कि भैंस का दूध स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। भैंस किसी
का नुकसान नही पहुंचाती बल्कि फायदा करती है। ऑपरेशन करके पहले से भी अधिक सुन्दर
बनाया। उसका शुक्रिया करना तो दूर शत्रु मान रही हैं। सिर्फ इसलिए कि आंख में फर्क
है। फर्क सोहिनी की आंख में नही, उन की नजर में है। नजर के लिए आंख की नही बल्कि
दिल और मन साफ होना चाहिए। मुझे मां ने कभी भी बेटी नही समझा, सिर्फ मेरे रंग और
मोटापे के कारण। दिल से मुझे पैदा करने के बाद निकाल दिया था। उसके बाद मन में कभी
बसाया नही। इसका दंड तो भुगतना ही पढेगा तीनो को। मैं तो सिर्फ इतना जताना चाहती थी
कि रंग सूरत सब कुछ नही होता। आदमी को कर्म से पहचानो। कर्म आप समझते है पापा। उन
तीनों ने कभी भी कर्म का महत्व नही जाना।” इतना कह कर श्वेता चुप हो गई।
रामनाथ ने देखा। श्वेता की आंखों में आंसू थे। रामनाथ चुपचाप अपने कमरे में चले
गए। फोन की घंटी बजी। कोर्ट के फैसले के बाद अस्पताल ने फौरन ज्वाइन करने को कहा।
उधर सोहिनी कैरियर उसके और मां मोहिनी के झूठे अंहकार के कारण तबाह हो गया। फिल्म
जगत के सारे रास्ते बंद हो गए। चारो तरफ थूथू हो रही थी। मीडिया का तो काम ही मसाले
दार चटपटी खबरों को परोसने का है। जो मीडिया कल तक सोहिनी के साथ था, आज श्वेता के
गुणगान कर रहा था। श्वेता कार में बैठ कर अस्पताल पहुंची। भव्य स्वागत के बीच वह
फौरन मरीजों को देखने में जुट गई। उधर सोहिनी बिस्तर में औंधे मुंह रो रही थी।
माधुरी की वकालत को झटका लगा। कई महत्वपूर्ण केस उसके हाथ से निकल गए। मोहिनी का
सपना सोहिनी के पूरा तो किया, लेकिन उसकी खुद की बेवकूफी ने सपना समय से पहले ही
समाप्त कर दिया।
ईर्षा सबके मन में थी। मोहिनी, सोहिनी, माधुरी अ©र श्वेता भी। ईर्षा श्वेता के मन
में दबी हुई थी अपनी सगी मां के सौतेले व्यवहार से जो ऑपरेशन के समय उभरी। मां पर
नही तो बहन पर भडास निकली जो सिर्फ रामनाथ ही समझ रहे थे।