जमहूरियत इस राज़[1]को इक मर्दे-फ़िरंगी[2] ने किया फ़ाश[3] हरचंद कि दाना[4]इसे खोला नही करते जमहूरियत[5]इक तर्ज़े-हुकूमत[6]है कि जिसमें बन्दों को गिना करते है तोला नहीं करते