ये पयाम दे गई है मुझे बादे- सुबहशाही
कि ख़ुदी के आरिफ़ों का है मक़ाम पादशाही
तेरी ज़िंदगी इसी से, तेरी आबरू इसी से
जो रही ख़ुदी तो शाही, न रही तो रूसियाही
न दिया निशाने-मंज़िल, मुझे ऎ हकीम तूने
मुझे क्या गिलस हो तुझ्से, तू न रहनशीं न राही
शब्दार्थ :
बादे- सुबहशाही= सुबह की हवा; आरिफ़= परिचित; रूसियाही=मुँह पर कालिख; हकीम=दार्शनिक; रहनशीं= सड़क के किनारे डेरा डालने वाले