माया छांड सुनोजी । आछा भांड बनोजी ॥ ध्रु० ॥
ब्रह्मदेवनें बेद पढाया माया मिठी लगी । सरस्वतीके गले पडा उसकी करित भगी ॥ १ ॥
विष्णुके पीछे लगा है मायाका धंदा । खेल करते फसल पडी मिठी लगी वृंदा ॥ २ ॥
महादेव बडा देव सब देवनका बाबा । भिल्लिनीके पिछे लगा करतां तोबा तोबा ॥ ३ ॥
अहिल्याके इंद्र भूल मदें । गौतमनें गांड मारी आंगपर हुवे फोदे ॥ ४ ॥
सीताकी चोरी करी रावणकूं धक्का । हनुमाननें नंगी करके जलदियी लंका ॥ ५ ॥
हनुमान तो ब्रह्मचारी जपे रामनाम । स्त्रीराज्यमो बायका गाभन करतां है बेफाम ॥ ६ ॥
विश्वामित्र तप करे भये अनुष्ठानी । मेनकासे वश भये हुवे धुळधानी ॥ ७ ॥
नारदनें किसनसे एक औरत मांगी । नारदकी नारदी भई पोगडे जनन लागी ॥ ८ ॥
सोळा सहस्त्र नारी कान्हा गोकूळमें खेळे । राधीकाकूं छोडके रीसनकूं भूले ॥ ९ ॥
जनार्दन साई मेरा सब खेल खेला । एकनाथ भांड होके उनके चरण मिला ॥ १० ॥