आमद-ए-ख़त[1] से हुआ है सर्द जो बाज़ार-ए-दोस्त
दूद-ए-शम-ए-कुश्ता[2] था शायद ख़त-ए-रुख़्सार-ए-दोस्त[3]
ऐ दिले-ना-आ़क़बत-अंदेश[4] ज़ब्त-ए-शौक़[5] कर
कौन ला सकता है ताबे-जल्वा-ए-दीदार-ए-दोस्त[6]
ख़ाना[7]-वीरां-साज़ी-ए-हैरत[8]-तमाशा कीजिये
सूरत-ए-नक़्शे-क़दम[9] हूँ रफ़्ता-ए-रफ़्तार-ए-दोस्त[10]
इश्क़ में बेदाद-ए-रश्क़-ए-ग़ैर[11] ने मारा मुझे
कुश्ता-ए-दुश्मन[12] हूँ आख़िर, गर्चे था बीमार-ए-दोस्त
चश्म-ए-मा-रौशन[13] कि उस बेदर्द का दिल शाद[14] है
दीदा-ए-पुरख़ूँ हमारा साग़र-ए-सरशार-ए-दोस्त[15]
ग़ैर यूं करता है मेरी पुरसिश[16] उस के हिज़्र[17] में
बे-तकल्लुफ़ दोस्त हो जैसे कोई ग़मख़्वार-ए-दोस्त
ताकि मैं जानूं कि है उस की रसाई[18] वां तलक
मुझ को देता है पयाम-ए-वादा-ए-दीदार-ए-दोस्त[19]
जबकि मैं करता हूं अपना शिकवा-ए-ज़ोफ़-ए-दिमाग़[20]
सर करे है वह हदीस-ए-ज़ुल्फ़-ए-अम्बर-बार-ए-दोस्त[21]
चुपके-चुपके मुझ को रोते देख पाता है अगर
हंस के करता है बयाने-शोख़ी-ए-गुफ़्तारे-दोस्त
मेहरबानी हाए-दुश्मन की शिकायत कीजिये
या बयां कीजे, सिपासे-लज़्ज़ते-आज़ारे-दोस्त[22]
यह ग़ज़ल अपनी मुझे जी से पसन्द आती है आप
है रदीफ़[23]-ए-शेर में 'ग़ालिब' ज़बस तकरार-ए-दोस्त[24]
- ↑ उजाला होने
- ↑ बुझे हुए चिराग का धुँआ
- ↑ प्रियतम का चेहरे का रोंआ
- ↑ परिणाम ना समझने वाला दिल
- ↑ शौक़ को संयत कर
- ↑ प्रिय को देखने का सामर्थ्य
- ↑ घर
- ↑ बरबादी से उत्पन्न हैरानी
- ↑ पद्दचिन्ह के समान
- ↑ प्रिय की मंथर गति पर मोहित
- ↑ प्रतिद्वंदी की ईर्ष्या
- ↑ दुश्मन का मारा हुआ
- ↑ मेरी आंख प्रकाशमान है
- ↑ प्रसन्न
- ↑ यार के तिए भरा हुआ प्याला
- ↑ पूछ-ताछ
- ↑ वियोग
- ↑ पहुंच
- ↑ प्रिय के दर्शन के वचन के संदेश
- ↑ मानसिक दुर्बलता की शिकायत
- ↑ प्रिय की खुशबू बिखेरने वाली ज़ुल्फ़ की बात
- ↑ प्रिय द्वारा मिलने वाली तकलीफ के आनन्द की प्रशंसा
- ↑ हर शेर के अन्त में आने वाले समान शब्द
- ↑ प्रिय शब्द का बार-बार ज़िक्र