हुजूम-ए-ग़म[1] से, यां तक सर-निगूनी[2] मुझ को हासिल है
कि तार-ए-दामन[3]-ओ-तार-ए-नज़र में फ़र्क़ मुश्किल है

रफ़ू-ए-ज़ख़्म से, मतलब है लज़्ज़त[4] ज़ख़्म-ए-सोज़न[5] की
समझियो मत कि पास-ए-दर्द[6] से दीवाना ग़ाफ़िल[7] है

वह गुल जिस गुलसितां में जल्वा-फ़रमाई[8] करे, ग़ालिब
चटकना ग़ुंचा-ए-गुल[9] का सदा-ए-ख़न्दा-ए-दिल[10] है

शब्दार्थ:
  1. दुख की भीड़
  2. सर झुकाना
  3. कपड़े का धागा
  4. मजा
  5. सूई से हुआ जख्म
  6. दर्द की इज्जत
  7. अन्जान
  8. वैभव दिखाए
  9. गुलाब की कली
  10. दिल के हँसने की आवाज
Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel