एक जा[1] हरफ़[2]-ए-वफ़ा लिक्खा था सो भी मिट गया
ज़ाहिरन काग़ज़ तेरे ख़त का ग़लत-बरदार[3] है

जी जले ज़ौक़-ए-फ़ना[4] की ना-तमामी[5] पर न क्यूं
हम नहीं जलते, नफ़स[6] हर-चन्द[7] आतिश-बार[8] है

आग से पानी में बुझते वक़्त उठती है सदा
हर कोई दर-मांदगी[9] में नाले[10] से ना-चार[11] है

है वही बद-मस्ती-ए-हर-ज़र्रा[12] का ख़ुद उज़र-ख़्वाह[13]
जिस के जलवे से ज़मीं ता आसमां सरशार[14] है

मुझ से मत कह, "तू हमें कहता था अपनी ज़िन्दगी"
ज़िन्दगी से भी मेरा जी इन दिनों बे-ज़ार[15] है

आंख की तस्वीर सर-नामे[16] पे खेंची है, कि ता
तुझ पे खुल जावे कि उस को हसरत-ए दीदार है

शब्दार्थ:
  1. जगह
  2. अक्षर
  3. गलतीयां मिटाने वाला
  4. मिट जाने का जोश
  5. खोट
  6. सांस
  7. हर वक्त
  8. आग-बरसाती
  9. मुसीबत
  10. रोना
  11. मजबूर
  12. हर कण की मस्ती
  13. क्षमा-याचक
  14. शराबी
  15. ऊबा हुआ
  16. लिफ़ाफ़ा
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