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दीवान ए ग़ालिब
/ धोता हूँ जब मैं पीने को उस सीमतन के पाँव
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धोता हूँ जब मैं पीने को उस सीमतन के पाँव
रखता है ज़िद से खेंच कर बाहर लगन के पाँव
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