मेरी हस्ती फ़ज़ा-ए-हैरत[1] आबाद-ए-तमन्ना[2] है
जिसे कहते हैं नाला वह उसी आ़लम[3] का अ़न्क़ा[4] है
ख़िज़ां क्या, फ़स्ल-ए-गुल कहते हैं किसको, कोई मौसम हो
वही हम हैं, क़फ़स[5] है, और मातम बाल-ओ-पर[6] का है
वफ़ा-ए-दिलबरां[7] है इत्तफ़ाक़ी वरना ऐ हमदम
असर फ़रियाद-ए-दिल-हाए-हज़ीं[8] का किस ने देखा है
न लाई शोख़ी-ए-अन्देशा ताब-ए-रंज-ए-नौमीदी[9]
कफ़-ए-अफ़सोस मलना अ़हद-ए-तजदीद-ए-तमन्ना[10] है
शब्दार्थ: